चार मुखी रुद्राक्ष को चतुर्मुखी रुद्राक्ष भी कहा जाता हैं। चार मुखी रुद्राक्ष की सतह पर चार धारियाँ अर्थात चार मुख होते हैं। इस रुद्राक्ष के अधिपति देवता भगवान ब्रह्मा हैं, जो ब्रह्मांड के निर्माता होने के साथ-साथ ज्ञान और रचनात्मकता के दाता हैं। इस रुद्राक्ष को पहनने वाला अधिक ज्ञानी हो जाता है क्योंकि उसकी एकाग्रता और सीखने की शक्तियां कई गुना अधिक होती हैं।
यह रुद्राक्ष छात्रों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, छात्रों के लिए यह दैवीय उपहार है। इसके धारण करते ही शीघ्र शिक्षा का लाभ मिलता है। इस रुद्राक्ष को पहनने वाले छात्र की स्मरण शक्ति और एकाग्रता में वृद्धि के कारण अपनी पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम होते हैं। इस रुद्राक्ष का सम्बन्ध बुध ग्रह से होता है। इसके देवता ब्रह्म देव है, इसके धारण करते ही छात्रों की बुद्धि का विकास होता है तथा मन पढाई में लगता है।
कलयुग में यह रुद्राक्ष किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि इसके धारण करने से ह्त्या के दोषी मनुष्य पाप कर्म से मुक्त हो जाते है तथा वो मुक्ति को प्राप्त करता है। चार मुखी रुद्राक्ष भगवान ब्रह्मा को चढ़ाया जाता है और चारों वेदों को समर्पित करता है। इस रुद्राक्ष पेंडेंट के प्रभाव से व्यक्ति आध्यात्मिक हो जाता है और धन, अच्छे स्वास्थ्य, बुद्धि और भाषण की शक्ति से धन्य हो जाता है। यह रुद्राक्ष चिंताओं को दूर करता है और आध्यात्मिकता को बढ़ाता है।
वैसे तो यह रुद्राक्ष किसी भी राशि के व्यक्ति धारण कर सकते है परन्तु वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर व कुम्भ लग्न के जातकों के लिए यह रुद्राक्ष बहुत ही लाभकारी होता है। इसके अलावा यह रुद्राक्ष छात्रों, वैज्ञानिकों, अधिकारियों और उन सभी लोगों के लिए सबसे अधिक फायदेमंद है जो इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर, और संचार लाइन में कार्यरत हैं।
1. अगर आपका बच्चा पढ़ाई में कमजोर है या आपको स्वयं शिक्षा के क्षेत्र में असफलता मिल रही है तो आपको 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, इसके प्रभाव से शिक्षा के क्षेत्र में मनवांछित सफलता मिलने में मदद मिलती हैं।
2. यह डॉक्टरों, इंजीनियरों, अनुसंधान विद्वानों, शिक्षकों, ज्योतिषियों, छात्रों के लिए उपयोगी है।
3. छात्रों के लिए यह रुद्राक्ष सबसे लाभदायक है, बुद्धि और आत्मविश्वास में वृद्धि के लिए 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती हैं।
4. जो जातक स्नायु दुर्बलता, मानसिक रोग, बुखार, दमा, पित्त तथा नसों से सम्बंधित रोगों से परेशान है, उनके लिए यह रुद्राक्ष बहुत ही लाभकारी होता है।
5. इस रुद्राक्ष के प्रभाव से वाणी में मधुरता आती है तथा चेहरे पर तेजस्विता आती है। इस रुद्राक्ष को धारण करने के कुछ दिनों में ही आपको शारीरिक, मानसिक, सांसारिक दुःखों से छुटकारा मिलता है।
6. जन्म कुंडली में अगर किसी प्रकार की अशुभता है तो यह रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए इसके प्रभाव से बुध ग्रह मजबूत हो जाता है। जीवन में उत्पन्न हो रही अशुभता दूर हो जाती है।
7. यह रुद्राक्ष विचार प्रक्रिया को नकारात्मक से सकारात्मक में संतुलित करता है।
8. एकाग्रता बढ़ाने के लिए तथा वैज्ञानिक अध्ययन तथा धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन में चतुर्मुखी रुद्राक्ष धारण करना लाभकारी होता है।
9. यह रुद्राक्ष प्रतिरक्षा में सुधार करने में मदद करता है। यह ध्यान केंद्रित करने की मन की शक्ति को बढ़ाता है।
चतुर्मुखी अर्थात चार मुखी रुद्राक्ष सोमवार के दिन धारण करना चाहिए। रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व एक कटोरी में गंगाजल, दूध, देसी घी, शहद और मिश्री को घोल ले और उसमे रुद्राक्ष को रख दे। ये मिश्रण की मात्रा इतनी हो की रुद्राक्ष उसमे डूब जाये। फिर इस मंत्र का “ॐ ह्रीं नमः” 1100 बार जप करने के बाद रुद्राक्ष को धुप या अगरबत्ती दिखा कर गंगाजल से धो कर धारण कर लीजिये।
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