
ऊपरी बाधा क्या होती है?
ऊपरी बाधा क्या होती है?
ऊपरी बाधायें हम उन्हें बोलते है जिसमे किसी व्यक्ति के शरीर पर उसका खुद का नियंत्रण न रहकर दूसरे का नियंत्रण हो जाता है और वह ठीक वैसा ही कहने-करने लगता है जैसा वह बाधा चाहती है। इसको भूत प्रेत बाधा भी कहते है।
हम यहाँ पर 6 तरह की भूत बाधा के बारे में बताएँगे।
आज के वैज्ञानिक युग में भूत-प्रेत और पारलौकिक शक्तियों से जुड़ी घटनाओं पर कोई विश्वास नहीं करता। ऐसी घटनाओं के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता, लेकिन लोग इन्हें सच मानते हैं। बहुत से लोगों को भूत बाधा से ग्रसित माना जाता है और इसके लिए वे उन्हें किसी बाबा की मजार या समाधि पर ले जाते हैं, जहां उनकी भूत बाधा को दूर किया जाता है।
भूत के प्रकार :
हिन्दू धर्म में गति और कर्म अनुसार मरने वाले लोगों का विभाजन किया है- भूत, प्रेत, पिशाच, कूष्मांडा, ब्रह्म राक्षस, वेताल और क्षेत्रपाल। उक्त सभी के उपभाग भी होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार 18 प्रकार के प्रेत होते हैं। भूत सबसे शुरुआती पद है या कहें कि जब कोई आम व्यक्ति मरता है तो सर्वप्रथम भूत ही बनता है।
इसी तरह जब कोई स्त्री मरती है तो उसे अलग नामों से जाना जाता है। माना गया है कि प्रसूता, स्त्री या नवयुवती मरती है तो चुड़ैल बन जाती है और जब कोई कुंवारी कन्या मरती है तो उसे देवी कहते हैं। जो स्त्री बुरे कर्मों वाली है उसे डायन या डाकिनी कहते हैं। इन सभी की उत्पति अपने पापों, व्यभिचार से, अकाल मृत्यु से या श्राद्ध न होने से होती है।
भूत-प्रेत बाधाओं, जादू-टोनों आदि के प्रभाव से भले-चंगे लोगों का जीवन भी दुखमय हो जाता है। ज्योतिष तथा शाबर ग्रंथों में इन बाधाओं से मुक्ति के अनेकानेक उपाय उपाय बताए गए हैं।
कैसा होता है भूत पीड़ा से ग्रस्त व्यक्ति
भूत पीड़ा :
बहुत से लोग भूत पीड़ा से ग्रस्त रहते हैं। भूत पीड़ा की प्रारंभिक अवस्था में व्यक्ति या तो अत्यधिक क्रोधी और चिड़चिड़ा रहेगा या फिर अत्यधिक शराब का सेवन करने वाला होगा।
भूत पीड़ा से पूर्ण रूप से ग्रस्त व्यक्ति किसी विक्षिप्त की तरह बात करता हुआ नजर आता है। मूर्ख होने पर भी उसकी बातों से लगता है कि वह कोई ज्ञानी व्यक्ति है। उसमें गजब की शक्ति आ जाती है। क्रुद्ध होने पर वह कई व्यक्तियों को एकसाथ पछाड़ सकता है। उसकी आंखें लाल हो जाती हैं और उसकी देह कांपती रहती है।
यक्ष पीड़ा :
लाल रंग में अत्यधिक रुचि लेने के दो मतलब हो सकते हैं पहला यह कि या तो आप मानसिक रूप से पीड़ित हैं और दूसरा यह कि आप यक्ष नामक आत्मा के प्रभाव से ग्रस्त हैं। यक्ष प्रभावित व्यक्ति ही लाल रंग के वस्त्र में रुचि लेने लगता है।
ऐसे व्यक्ति की आवाज धीमी, लेकिन चाल तेज हो जाती है। इसकी आंखें तांबे जैसी दिखाई देने लगती हैं। वह ज्यादातर आंखों से इशारा करता है। ऐसा व्यक्ति अधिकतर समय मौन रहता है और बहुत सारा खाना खाता है और घंटों एक ही जगह देखता रहता है।
पिशाच पीड़ा :
पिशाच पीड़ा के शुरुआती लक्षण ये हैं कि व्यक्ति स्नान आदि से दूर रहने लगता है। भोजन, संभोग या मदिरा का अधिक सेवन करता है। रात और दिन दोनों समय सोता रहता है। लेकिन जब व्यक्ति पिशाच से पूरी तरह प्रभावित हो जाता है तब वह नग्न रहने से भी नहीं हिचकता है।
ऐसा व्यक्ति धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है तथा सदा कटु शब्दों का प्रयोग करता है। वह गंदा रहता है और उसकी देह से दुर्गंध आती है। ऐसा व्यक्ति खूब खाता है और एकांत में रहना पसंद करता है। वह अकेले में ही रोने लगता है।
प्रेत पीड़ा :
भूत, पिशाच से अलग होते हैं प्रेत। प्रेत बाधा से ग्रस्त व्यक्ति की वाणी कठोर और कटु हो जाती है। ऐसा व्यक्ति किसी की नहीं सुनता और अपनी मनमानी करता है। भोजन के प्रति अरुचि हो जाती है।
जब व्यक्ति पूरी तरह से प्रेत के चंगुल में फंस जाता है तो ऐसी अवस्था में वह चीखता, चिल्लाता और रोता रहता है। कभी-कभी वह तेजी से इधर से उधर बिना कारण भागता रहता है। ऐसे व्यक्ति तीव्र स्वर के साथ सांसें लेता रहता है।
शाकिनी पीड़ा :
शाकिनी या डाकिनी से आमतौर पर महिलाएं पीड़ित रहती हैं। शाकिनी से प्रभावित स्त्री की संपूर्ण देह में दर्द बना रहता है। उसकी आंखों में भी सदा पीड़ा होती रहती है वह अक्सर बेहोश भी हो जाया करती है।
जब शाकिनी का प्रकोप बढ़ जाता है तो ऐसी महिलाएं रोने और चिल्लाने लगती हैं और कांपती रहती हैं। जब पीड़ा और बढ़ जाती है तो महिला की मौत भी हो सकती है
चुडैल पीड़ा :
चुड़ैल के चंगुल में महिला के अलावा पुरुष भी हो सकता है। चुड़ैल से ग्रस्त व्यक्ति अत्यधिक शंकालु और संभोगी बन जाता है। ऐसे व्यक्ति का शरीर हष्ट-पुष्ट हो जाता है।
चुड़ैल प्रभावित व्यक्ति हमेशा मुस्कराता रहता है और मांस, मछली या अत्यधिक तामसिक भोजन खाना पसंद करता है। गंदे से गंदे लोगों के बीच रहकर वह खुश रहता है।
अंत में भूत, प्रेत आदि बाधाओं से मुक्ति के उपाय...
1 . हिन्दू धर्म में भूतों से बचने के अनेक उपाय बताए गए हैं। पहला धार्मिक उपाय यह है कि आप गले में किसी भगवान का लॉकेट जैसे ॐ, हनुमान जी, माता रानी या आप रुद्राक्ष का लॉकेट पहन सकते है, आप सदा हनुमानजी का स्मरण करें, प्रतिदिन हनुमान बाण पढ़ें। चतुर्थी, तेरस, चौदस और अमावस्या को पवित्रता का पालन करें। शराब न पीएं और न ही मांस का सेवन करें। सिर पर चंदन का तिलक लगाएं। हाथ में मौली (नाड़ा) अवश्य बांधकर रखें।
2 . जब आप रात में भोजन करले तो उसके बाद देव स्थान पर एक कटोरी में कपूर ले ले और 5 लॉन्ग और थोड़े से काले तिल लेकर उन्हें 7 बार बाधित व्यक्ति के ऊपर से उतर ले और जलते हुए कपूर में डाल दे । इससे आकस्मिक, दैहिक, दैविक एवं भौतिक संकटों से मुक्त मिलती है।
4. अगर भूत या प्रेत व्यक्ति पर भारी पड़ता दिखे तो जल्दी से भैस या गाये के गोबर से बने उपले जला ले और जैसे ही वो जल कर कोयले की तरह रह जाये तो उसमे सुखी साबूत लाल मिर्च डाले और उसका धुआँ व्यक्ति को दे। मिर्च के धुए से प्रेत दूर भाग जाते है। ये एक तुरंत इलाज है लेकिन ये स्थाई नहीं है।
5. आप एक सूखा नारियल दाढ़ी वाला ले ले। साथ में एक 10 रूपये का नोट ले ले और एक कलावे कि रील ले ले । नारियल को प्रेत बाधित व्यक्ति के ऊपर से 7 बार घूमना है । इसको करना कैसे है ये आपको बता देते है नारियल को सर के ऊपर से एक बार वार कर इसे कलावे से एक बार बांध ले साथ में 10 रूपये का नोट भी बांध दे। ऐसे आपको 6 बार करना है 6 बार करने के बाद सातवे चकर में सर का एक बाल तोड़ ले और सातवीं बार उसे सर से वारते समय बाल को कलावे से बांध ले। 7 बार सर के ऊपर से वारते समय आपको सीता राम जय हनुमान- सीता राम जय हनुमान बोलना है। 7 बार वारने के बाद इससे हनुमान जी के चरणों में रख दे। रखते समय आपको बोलना है हे हनुमान जी आपको रीता राम की दुहाई है इस समस्या को यही दफ़न कर दो और इससे अपने चरणों में बैठा लो।
6. ऐसी स्थिति में आप 50 ग्राम बासमती मीठे चावल गुड़ डाल कर बना ले, चावल बनते वक़्त लास्ट में इसमें 2 इलायची और 2 छुआरे डाल दे। चावल बने के बाद इससे सफ़ेद कागज़ पर डाल ले। इसमें एक घी का छींटा दे दे। इसके साथ 2 बूंदी के लड्डू, 1 सिगरेट कमांडर , 1 मीठा पान, 5 पताशे, 2 लॉन्ग, 2 पेड़े, 2 छोटी गुड़ की डली। दोनों गुड़ की डली पर 7 लाल टिके और 7 काले टिके लगाने है। फिर गुड़ की डली पर 3 बार फूक मारनी है। ये फूक प्रेत बाधित व्यक्ति मरेगा। इसके बाद इनसबको एक थैली में रख ले और इसको प्रेत बाधित व्यक्ति के ऊपर से 7 बार वार ले। इसके बाद इसे घर के हर सदस्य के ऊपर से वार ले (सदस्यों में बच्चे भी शामिल है )। और इसे पुरे घर से घुमा कर सीधे पीर बाबा के यहाँ रख आये। वहाँ कुछ पैसे रखना चाहे तो ये आपकी अपनी इच्छा है। याद रहे की जाते समय किसी से बोलना नहीं है। इसको रखते समय पीर बाबा से बोले कि हे पीर बाबा जो भी समस्या है इसको यही दफ़न कर दो और इसे अपने चरणों बैठा लो। इसके बाद सीधा अपने घर आना है। ये काम करते समय न किसी से बोलना नहीं है और न ही किसी की बात का जवाब देना है न ही फ़ोन उठाना है चाहें कितनी बार भी कोई फ़ोन करे । होसके तो फ़ोन को घर पर ही रख कर जाये। ये करने के बाद आप देखेंगे कि बाधित व्यक्ति को काफी आराम है। ये अपने आप में सबसे बड़ा उपाए है या इसे आप टोटका भी कह सकते है।
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