शास्त्रों में भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने का एक सबसे सरल उपाय बताया गया है। मान्यता है कि रुद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव उस व्यक्ति की सदा रक्षा करते हैं। तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को और भी कई तरह के फायदे होते हैं। तेरह रत्न धारण करने से भी तेरह मुखी रुद्राक्ष जितना फल नहीं मिल पाता है। तेरह मुखी रुद्राक्ष को स्वर्ग के राजा इंद्र का स्वरूप माना गया है। कई ग्रंथों में इस बात का विवरण मिलता है कि स्वर्ग का शासन पुन: पाने में भगवान इंद्र पर तेरह मुखी रुद्राक्ष का ही प्रभाव था।
इस रुद्राक्ष पर कामदेव की भी विशेष कृपा होती है। इंद्र देव, कामदेव और भगवान शिव की कृपा पाने का यह सबसे उत्तम और सरल उपाय है। सिद्धि साधना में भी तेरह मुखी रुद्राक्ष को उत्तम माना गया है। कामदेव की कृपा होने के कारण प्रेम और गृहस्थ सुख की इच्छा रखने वाले लोगों को ये रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।
कामदेव से संबंधित होने के कारण ये रुद्राक्ष वैवाहिक जीवन के लिए अति उत्तम होता है। जिन लोगों के वैवाहिक जीवन में मनमुटाव चल रहा है या जो वैवाहिक सुख नहीं ले पा रहे हैं उन्हें 13/तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण कारनमा चाहिए।
ये रुद्राक्ष निसंतान दंपत्तियों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्रदान करता है। अगर किसी भी कारण आपको संतान प्राप्ति में मुश्किलें आ रही हैं तो आपको 13/तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। भगवान शिव की कृपा से शीघ्र ही आपको स्वस्थ और उत्तम संतान की प्राप्ति होगी।
तुला राशि के लिए 13/तेरह मुखी रुद्राक्ष लाभदायक होता है। तुला राशि का स्वामी है शुक्र ग्रह और शुक्र ग्रह का संबंध तेरह मुखी रुद्राक्ष से होता है। अगर तुला राशि के लोग अपने स्वामी ग्रह की कृपा पाना चाहते हैं तो उन्हें ये रुद्राख अवश्य धारण करना चाहिए।
इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति का मन निर्मल और दया से भर जाता है। मानसिक अवरोध या अन्य किसी तरह के बुरे विचार मन से दूर होने लगते हैं। इस रुद्राक्ष के प्रभाव में जातक को अपने परिवार का साथ भी प्राप्त होता है।
रविवार, सोमवार अथवा शिवरात्रि के दिन रुद्राक्ष को धारण करना शुभ होता है।
प्रातःकाल में नहा धो कर पूजा स्थान पर बेथ जाये और रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व एक कटोरी में गंगाजल, दूध, देसी घी, शहद और मिश्री को घोल ले और उसमे रुद्राक्ष को रख दे। ये मिश्रण की मात्रा इतनी हो की रुद्राक्ष उसमे डूब जाये और “ॐ ह्रीं नमः” मंत्र का 1100 बार जाप करें। नियमित “ॐ नमः शिवाय” मंत्र की पांच माला का जाप करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। नियमानुसार इस रुद्राक्ष को धारण करने से इससे संबंधित संपूर्ण फल प्राप्त होते हैं।
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