Description
निसंतान स्त्रियों के लिए ये रुद्राक्ष किसी वरदान से कम नहीं है। इस रुद्राक्ष का स्वरूप माता गौरी और भगवान गणेश जैसा ही है। अन्य रुद्राक्ष की तुलना में गर्भ रुद्राक्ष आकार में थोड़ा छोटा होता है। इस रुद्राक्ष में एक बड़ा रुद्राक्ष माता पार्वती को दर्शाता है और अन्य रुद्राक्ष उनके पुत्र भगवान गणेश का प्रतिबिंबित करता है।
गर्भ गौरी रुद्राक्ष के लाभ
- यदि कोई स्त्री मातृ सुख या संतान सुख पाना चाहती है उसे गर्भ गौरी रुद्राक्ष जरूर धारण करना चाहिए।
- गर्भ गौरी रुद्राक्ष को गले में धारण करने से उस व्यक्ति का मन हमेशा प्रसन्न रहता है।
- गर्भधान में देरी या समस्या आ रही है तो आपको गर्भ गौरी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।
- मां और संतान के बीच अच्छे संबंध बनाने के लिए भी गर्भ गौरी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।
पहनने की विधि
'गर्भ गौरी रूद्राक्ष' को सोमवार के दिन धारण किया जाता है। इसे पहले गंगाजल से अच्छी तरह धो लें। फिर पूजा स्थान में लाल कपड़ा बिछाकर इसे रखें और चंदन का तिलक रूद्राक्ष को लगाएं। धूप और अगरबत्ती दिखाएं। रूद्राक्ष पर सफेद रंग के पुष्प अर्पित करें। इसके बाद रुद्राक्ष को दाएं हाथ में लेकर ऊं नम: शिवाय मंत्र की एक माला जाप करें। इसके बाद रूद्राक्ष को शिवलिंग से टच करवाकर धारण कर लें। इसे चांदी की चेन या लाल धागे में गले में पहना जा सकता है।
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- Model: Garbh Gauri Rudraksha